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मासिक दुर्गाष्टमी आज

मासिक दुर्गाष्टमी आज
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हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत ही विशेष मानी जाती है।
ये तिथि माता दुर्गा को समर्पित की गई है। हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन माता दुर्गा के व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन विधि-विधान से माता का व्रत और पूजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। जीवन में धन वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मां के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
कब है मासिक दुर्गाष्टमी?
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वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगी। वहीं इस अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन यानी 7 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 7 मार्च को फाल्गुन माह की दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।
मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व
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हिंदू धर्म के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने वाले व्यक्तियों के जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने वालों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा होती है। इसके साथ ही, मां की कृपा से उनके घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। धन से संबंधित समस्याएं नहीं आतीं और जातक के अधूरे कार्य पूर्ण हो जाते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि
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मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए, ताकि पूजा स्थल शुद्ध हो जाए।
इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।
इसके बाद जल से भरा कलश स्थापित कर धूप और दीपक जलाना चाहिए।
फिर मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाकर रोली और चावल से तिलक करना चाहिए. फिर उनको फूल चढ़ाने चाहिए।
मां दुर्गा को सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए।
फिर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
मां दुर्गा को फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
अंत में मां दुर्गा की आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम
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मासिक दुर्गाष्टमी पर घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
सुबह से शाम तक कुछ नहीं ग्रहण करना चाहिए। संभव हो तो फल और दूध ग्रहण कर सकते हैं।
शाम को विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
सूर्यास्त के बाद ही व्रत समाप्त करना चाहिए।
सात्विक भोजन से ही व्रत का पारण करना चाहिए।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

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