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मूलाक -1

मूलाक

मूलाक क्या है, और कैसे निकाला जाता है, यह जान लेने के बाद हम असली मुद्दे ज्योतिष पर आते है अर्थात् विविध मूलाक वालो के लिये क्या शुभ या अशुभ, उचित या अनुचित है, उन्हे क्या करना और क्या नही करना चाहिये, किस क्षेत्र मे वे सफल हो सकते है, क्या सावधानिया उन्हे बरतनी चाहिय आदि बातो का अक वार विश्लेषण निम्नानसुार है|

 

मूलाक -1

जिन जातको का जन्म 1,10, 19 और 28 तारीखो को होता है, उनका मूल अक 1 होता है 1 अक का स्वामी ग्रह सूर्य है 1 से ही अको या सख्याओ का आरभ होता है और इसलिये उसका महत्व स्वय सिद्ध है एक से ही अनेक की सृष्टि होती है जिस प्रकार सौर मडल का केन्द्र बिन्दु सूर्य होता है जो विभिन्न ग्रहो को नियत्रित करता है तथा अन्य ग्रह उसकी परिक्रमा करते है, उसी प्रकार 1 की स्थिति अको की दुनिया मे होती है एक के बिना अन्य अको को घटाया-बढ़ाया नही जा सकता है अखिल ब्रह्माण्ड का सचालन भी एक है तो प्रत्येक ग्रह को जीवन या ऊर्जा भी सूर्य से ही प्राप्त होती है दिन और रात उसी के कारण होते है, ऋतुए भी उसी की वजह से बदलती है इसीलिये ऐसे लोग भाग्यवान ही कहे जाएगे जिनका मूलाक एक हो एसेे जातको के गुणो की सूची बनाना सरल नही है यू तो सभी इन्सान है इसीलिये सबमे गुण-दोष दोनो होते है भाग्य कितना भी बलवान हो हर जातक गलतिया कर बठै ता है फिर भी 1 मूलाक वालो की बात अलग है इनका व्यक्तित्व आकषर्क होता है खुश मिजाज तो ये होते ही है समूह मे इनका व्यक्तित्व अलग ही नजर आता है कुछ चुबकीय आर्कषण इनमे जन्मजात होता है कि लागे इनसे प्रभावित हो इनकी ओर खीचे चले आते है यही वजह है कि ऐसे लोग स्वतत्र प्रवृत्ति के होते है आरै किसी के अधीन रहकर कार्य करना इन्हे पसद नही होता कभी-कभी अपने इस स्वभाव के कारण इनकी अपने समकक्ष या वरिष्ठ लोगो से खटपट भी हो जाती है परन्तु अपना रास्ता बना लेना तो कोई इनसे सीखे वे इतने परिश्रमी, परिवार या सस्थान के प्रति ईमानदार और बुद्धिवान होते है कि प्रायः लागे उनके रास्ते मे आते ही नही है बल्कि उनको सहयेाग ही करते है ये लागे अत्यत साहसी, उद्यमिता के गुणो से लबरेज, सर्घषशील होने के अलावा सहनशील भी होतेे है जिसके पास इतने गुण होगे तो वह समपिर्त मित्रो की मडली क्यो न बना लेगा? इनके दोस्तो मे वृद्धि हेाती रहती है हमेशा कुछ नया करने की इच्छा इनमे रहती है वे अपनी मजिल को भली भाति पहचानते है आरै वहा तक पहुच कर ही दम लेते है इन बातो के अतिरिक्त इनमे सही और तुरत निणर्य लेने की विलक्षण प्रतिभा होती है इनके प्रशसक, मित्र भले हो कितु खुशामद खोरी से इन्हे सख्त चिढ़ होती है न ये किसी की खुशामद करते है और दूसरे इनकी खुशामद करे तो यह भी इनसे सहन नही होता है इन्हे केवल उत्साह, लगन, निष्ठा, समर्पण से ही प्रसन्न किया जा सकता है ये हर विपत्ति मे दूसरो की हर प्रकार से सहायता के लिये तत्पर रहते है स्वय अपने गुणो के कारण जीवन मे आगे बढ़ते है तो दूसरो को भी उन्नति करते देख इन्हे खुशी होती है अनावश्यक ईर्ष्या की भावना इनमे नही होती इनके व्यक्तित्व और कृतित्व मे मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक और सवेदी गुणो का सतुलन देखने मे आता है चूकि ये अपने काम मे हस्तक्षेप पसद नही करते इसलिये यथा सभव अकेले काम करना चाहते है कितु ये ही गुण जब आवश्यकता से अधिक हो जाय तो कभी-कभी वे दुर्गूण भी बन जाते है क्योकि अति सर्वत्र वर्जते उनकी कार्यशैली कभी-कभी निरकुश भी हो जाती है और तब वे अपने विरोधी भी तैयार कर सकते है ऐसे जातको के अन्य ग्रह भी बलवान हो तो ये शासन के सर्वोच्च शिखर पर पहुच जाते है या विदेशो मे भी ख्याति अर्जित करते है महत्वाकाक्षा के साथ-साथ गतिशीलता और विकासशीलता की खूबिया भी इनमे होती है इन्हे स्वय पर पूर्ण विश्वास होता है इनकी सोच सृजनात्मक एव सकारात्मक होती है नई सूझ-बूझ और मौलिकता के गुणो से भी ये लोग ओत-प्रोत होते है ये जितना कमाते है उतनी ही दरियादिली से खर्च भी करते है अपने विचारो मे वे धु्रव तारे की तरह अटल रहते है हर काम सलीके से करते है और किसी तरह की अव्यवस्था को ये बर्दाश्त नही कर सकते

 

सुझाव

फिर भी ऐसे लोगो को ज्यादा जिद्दी नही होना चाहिये आज के युग मे थोड़ा समझौतावादी और लचीला होना ही उचित है सौदर्य प्रेमी होना ठीक है परन्तु किसी सुदरी के मायाजाल मे न उलझ जाए इसका उन्हे ध्यान रखना चाहिये अत्यधिक आत्मविश्वास के चलते अनावश्यक खतरे न उठाए तो यह इनके हित मे होगा

 

महिला जातक

जहा तक एक मूलाक वाली महिला जातको का प्रश्न है वे अपने पतियो को सदैव उचित सलाह देती है कला, चित्रकला, आतरिक सज्जा, साहित्य, रगकर्म, फिल्म आदि क्षेत्रेेे मे वे अपनी पहचान कायम कर सकती है सामाजिकता, सद्व्यवहार और प्रसन्न चित्तता इनके खास गुण होते है चिता, व्यवधानो के बावजूद वे अवसरो का उपयोग कर सफलता घर और बाहर दोनो जगहो पर प्राप्त कर लेती है 25 से 40 वर्षो तक का आयुकाल इनके चर्मोत्कर्ष का होता है कितु 55 से 60 की आयु के दौरान उन्हे अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिये यही आयुकाल पुरुष जातको पर भी लागू होता है 50 के बाद उन्हे हृदयाघात का सामना करना पड़ सकता है और अपने आकर्षक व्यक्तित्व के कारण कोई प्रेम प्रसग की शुरुआत भी हो सकती है एक मूलाक वालो का श्रेष्ठ और भाग्यशाली समय तब होता है जब सूर्य उत्तरायण मे हो सूर्य के दक्षिणायण होने पर उनके लिये छोटी-मोटी समस्याए उत्पन्न होती रहेगी

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