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मूलाधार चक्र: आध्यात्मिकता और सफलता की जड़

🌺 मूलाधार चक्र: आध्यात्मिकता और सफलता की जड़

मूलाधार चक्र (Root Chakra) योग और तंत्र विद्या में पहला और सबसे मूल चक्र माना जाता है। यह सिर्फ आध्यात्मिक जागरण की नींव नहीं है, बल्कि भौतिक जीवन की स्थिरता, सुरक्षा और ऊर्जा का भी स्रोत है। अगर यह चक्र संतुलित है, तो जीवन की कई समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं।


🔴 मूलाधार चक्र की संरचना और प्रतीक

  • यह चक्र चार पंखुड़ियों वाले लाल कमल जैसा दिखता है।

  • केंद्र में एक पीले रंग की चकोर आकृति होती है, जो पृथ्वी तत्व को दर्शाती है — पंचमहाभूतों में सबसे स्थिर तत्व।

  • हर पंखुड़ी पर एक-एक रहस्यमय बीजाक्षर (बीज मंत्र) अंकित होता है, जिनमें गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा है।


❌ कब दुख देता है मूलाधार चक्र?

जब व्यक्ति जीवन में जरूरत से ज़्यादा भौतिक लालसा, डर, असुरक्षा, या क्रोध जैसे नकारात्मक भावों में फँस जाता है, तब मूलाधार चक्र असंतुलित हो जाता है।

इसके असंतुलन के लक्षण:

  • मन चिड़चिड़ा हो जाता है

  • बार-बार भय का अनुभव होता है

  • धन आने के बाद भी टिकता नहीं

  • कामों में बार-बार विघ्न आते हैं

  • लोगों से मिलने-जुलने में डर

  • ध्यान में मन न लगना

  • चेहरे के चारों ओर भारीपन या नकारात्मक ऊर्जा

  • संबंधों में टूट-फूट


✅ मूलाधार चक्र को संतुलित कैसे करें?

1. चेतना का विकास करें

चेतना यानी अपने भीतर के विचारों और भावनाओं की सजगता। यह ध्यान का अगला और स्थायी स्तर है। जितना सजग रहेंगे, उतनी जल्दी चक्र की सफाई होगी।

2. मंत्र चिकित्सा द्वारा उपचार

मंत्र चिकित्सा विदुषी आरती दीदी (उड़ीसा) द्वारा सिखाया गया मूलाधार चक्र का मंत्र अत्यंत प्रभावी है।

यह मंत्र सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, लेकिन इच्छुक साधक आरती दीदी से संपर्क कर सकते हैं।

मूलाधार की गड़बड़ी से:

  • असुरक्षा की भावना

  • भोजन, नींद, घर और भविष्य की चिंता

  • भय और स्थायित्व की कमी महसूस होती है

इस मंत्र का अभ्यास जीवन की स्थिरता लौटाने में सहायक होता है।

3. हीलिंग तकनीक अपनाएं

  • ब्लू लाइट हीलिंग: यह ऊर्जा को संतुलित करने की प्रभावशाली तकनीक है।

  • आप इसे स्वयं कर सकते हैं या किसी अनुभवी हीलर से करवाएं।


🌟 जब मूलाधार चक्र ठीक होता है:

  • मन शांत और स्थिर हो जाता है

  • भय समाप्त होता है

  • आर्थिक प्रवाह बेहतर होता है

  • संबंधों में मिठास आती है

  • जीवन में आत्मविश्वास और आनंद बढ़ता है

  • ध्यान सरलता से लगने लगता है

  • चेहरा और ऑरा उज्जवल दिखने लगता है


सात चक्रों की साधना की शुरुआत मूलाधार से ही करनी चाहिए, क्योंकि जब जड़ मज़बूत होती है, तभी वृक्ष फलता-फूलता है। मूलाधार का संतुलन ही आपके जीवन की असली शक्ति है — भौतिक भी और आध्यात्मिक भी।

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