महर्षि वागभट्ट का सूत्र: बच्चों के कमरे में सरसों के तेल का दीपक – रोगों से सुरक्षा का आयुर्वेदिक रहस्य
गुरु (महर्षि वागभट्ट जी) कहते हैं कि बालकों के कमरे में प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखना चाहिए।”
यह केवल एक परंपरागत बात नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक विज्ञान पर आधारित एक प्रभावशाली उपाय है जो ग्रहजन्य रोगों यानी सूक्ष्म जीवाणु और वायरस जन्य रोगों से बच्चों की रक्षा कर सकता है।
🧠 विमर्श: यह उपाय क्यों महत्वपूर्ण है?
🌿 1. सरसों के तेल की गुणधर्मिता:
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सरसों का तेल ऊष्ण, जीवाणुनाशक और वात-हर गुणों से युक्त होता है।
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जब इसे जलाया जाता है, तो यह वातावरण को शुद्ध करने के साथ-साथ हानिकारक सूक्ष्म रोगजनक तत्वों (pathogens) को नष्ट करता है।
🧒 2. बच्चों के लिए विशेष रूप से लाभकारी:
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बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) कमज़ोर होती है।
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वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और अन्य ऊर्जा विकार आसानी से उन पर असर डालते हैं।
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सरसों के तेल का दीपक एक प्राकृतिक protection field की तरह कार्य करता है।
🔬 3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
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सरसों के तेल के जलने से निकलने वाला धुआं airborne bacteria को नष्ट कर सकता है।
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कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सरसों का धुआं मच्छर और कीड़ों को भी भगाने में सक्षम होता है, जो अपने साथ रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव लाते हैं।
🔯 4. आध्यात्मिक और मानसिक प्रभाव:
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दीपक की लौ मन और चित्त को स्थिर करती है।
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बच्चों में नींद की गुणवत्ता, एकाग्रता और भावनात्मक सुरक्षा भी बेहतर होती है।
🪔 प्रयोग की विधि:
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प्रतिदिन शाम के समय या सोने से पूर्व, बच्चों के कमरे में एक मिट्टी या तांबे का दीपक लें।
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उसमें शुद्ध कच्ची घानी सरसों का तेल भरें।
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एक रुई की बत्ती जलाकर रखें।
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दीपक ऐसी जगह रखें जहाँ आग लगने का खतरा न हो, और हवा का प्रवाह हो।
⚠️ सावधानियाँ:
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दीपक बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
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बत्ती बुझ जाने पर तेल दोबारा उपयोग न करें।
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यदि कमरे में बहुत धुआं भरता है, तो खिड़की थोड़ी खुली रखें।
महर्षि वागभट्ट जी का यह सूत्र केवल धार्मिक या आध्यात्मिक नहीं, बल्कि एक समग्र (Holistic) जीवनशैली का अंग है। सरसों के तेल का दीपक बच्चों के शारीरिक, मानसिक और ऊर्जात्मक स्वास्थ्य के लिए एक सरल परंतु प्रभावशाली उपाय है।