श्राद्ध 2025: क्या हर साल श्राद्ध करना जरूरी है? अगर नहीं किया तो क्या होगा? 🌹
श्राद्ध 2025: क्या हर साल श्राद्ध करना जरूरी है? अगर नहीं किया तो क्या होगा? 🌹
श्राद्ध और पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के 15 दिन पूर्ण रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए समर्पित माने जाते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की कृपा मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
लेकिन सवाल यह भी उठता है कि यदि हर साल श्राद्ध न किया जाए तो क्या होता है? क्या पितर अपने वंशजों को श्राप देते हैं? आइए जानते हैं शास्त्रों में इसका उत्तर।
श्राद्ध न करने के परिणाम
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पूर्वजों की असंतुष्टि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से आशा करते हैं कि वे उनका श्राद्ध करें। यदि ऐसा न हो तो वे असंतुष्ट होकर लौट जाते हैं। -
पितृ दोष का प्रकोप
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गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा प्रेत योनि में रह सकती है।
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इससे परिवार पर पितृ दोष लगता है, जिसके कारण धन हानि, स्वास्थ्य समस्याएँ और रिश्तों में तनाव आता है।
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संतान और कुल पर प्रभाव
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मार्कण्डेय पुराण के अनुसार जिस कुल में श्राद्ध नहीं किया जाता, वहाँ दीर्घायु, निरोग और वीर संतान जन्म नहीं लेती।
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ऐसे परिवारों में कभी मंगल कार्य सफलतापूर्वक नहीं हो पाते।
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क्यों करना चाहिए हर साल श्राद्ध?
श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त और संतुष्ट होती है। वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं जिससे जीवन में सुख-शांति, धन और संतानों की प्रगति बनी रहती है।
इसलिए हर साल पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना परिवार के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है।
निष्कर्ष
श्राद्ध केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है। यदि आप अपने जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता चाहते हैं तो पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करें और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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