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आज की जड़ी-बूटी निर्गुण्डी !!!निर्गुण्डी

आज की जड़ी-बूटी निर्गुण्डी !!!निर्गुण्डी

का वानस्पतिक नाम Vitex negundo है। इसको हमारे उत्तरप्रदेश में मेंउड़ी भी कहा जाता है। सम्भालू शिवारी, निसिन्दा शेफाली, तथा संस्कृत में इसे सिन्दुवार, इन्द्राणी, नीलपुष्पा, श्वेत सुरसा, सुबाहा भी कहते हैं। राजस्थान में यह निनगंड नाम से जाना जाता है। इसके पौधे वहुवर्षीय तथा करीब 10 फीट तक ऊंचे पाए जाते हैं।

निर्गुण्डी कफ और वात को नष्ट करता है। गठिया जैसे वात रोग में सूजन दर्द को कम करता है। त्वचा पर लेप लगाने से घाव भरता है, और बैक्टीरिया यादि कीड़ों को नष्ट करता है। इसके अलावा यह भूख बढ़ाने, भोजन को पचाने, लीवर के रोगों, कुष्ठ रोग, स्त्रियों में मासिक आर्तव की वृद्ध करता है। यह ताकत बढ़ाने वाला, रसायन, आँखों के लिए लाभकारी, सूखी खाँसी ठीक करने वाला, खुजली तथा बुखार विशेषकर टायफायड बुखार को ठीक करने वाला है। कानों का बहना रोकता है। इसका फूल, फल और जड़ आदि पांचों अंगों में भी यही गुण होते हैं। फूलों में उलटी रोकने का भी गुण होता है,मेरे पास दोनों प्रकार की निर्गुण्डी है।

निर्गुण्डी को सम्भालू भी कहते है यानि सम्भाल करने वाला ये एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है वात कफ दोष नाशक है गृघसी (सायटिका) में इसका क्वाथ परम लाभकारी है टायफाइड बुखार में इसको गिलोय या कालमेघ के साथ देने से बहुत जल्दी रोग निर्मूल हो जाता है और सिर्फ अकेले भी ये टायफाइड को दूर कर देता है झड़ते हुए बालों में इसके स्वरस को नारियल या तिल के तेल में सिद्ध करके लगाने से बाल काले होते हैं और लम्बे घने हो जाते है।

इसके स्वरस का नस्य देने से स्मरण शक्ति बढती है और कफ व्याधि नष्ट होती है।
इसका घनसत्व वात दर्द नाशक होता है मात्रा 1000 mg.अनुपान रास्नादि क्वाथ के साथ।

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