Search for:
  • Home/
  • आलेख/
  • ऐंधम वेदं या पाँचवाँ वेद एक रहस्यमय और गूढ़ विषय

ऐंधम वेदं या पाँचवाँ वेद एक रहस्यमय और गूढ़ विषय

“ऐंधम वेदं” या “पाँचवाँ वेद” एक रहस्यमय और गूढ़ विषय है, जिसके बारे में हिंदू धर्म और वैदिक साहित्य में कई मान्यताएं और किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। वैदिक परंपरा में चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) को मान्यता दी गई है, लेकिन कुछ ग्रंथों और मान्यताओं में “पाँचवें वेद” का उल्लेख मिलता है। यह पाँचवाँ वेद क्या है, इसके बारे में विभिन्न मत हैं:

1. नाट्यशास्त्र को पाँचवाँ वेद माना जाता है:

  • भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को कई विद्वानों ने पाँचवें वेद के रूप में स्वीकार किया है। नाट्यशास्त्र नाटक, संगीत, नृत्य और कला से संबंधित है। इसे “पंचम वेद” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह चारों वेदों का सार समेटे हुए है और सामान्य जनता के लिए सुलभ है।
  • नाट्यशास्त्र में कहा गया है कि यह वेदों से प्रेरित है और इसे ऋषियों ने मनोरंजन और शिक्षा के माध्यम के रूप में बनाया है।

2. आयुर्वेद को पाँचवाँ वेद माना जाता है:

  • कुछ परंपराओं में आयुर्वेद को पाँचवें वेद के रूप में देखा जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा और स्वास्थ्य से संबंधित है और इसे अथर्ववेद का उपवेद माना जाता है। हालांकि, इसे अलग से पाँचवें वेद के रूप में भी मान्यता दी जाती है।

3. तंत्र और आगम ग्रंथ:

  • कुछ मान्यताओं के अनुसार, तंत्र और आगम ग्रंथों को भी पाँचवें वेद के रूप में देखा जाता है। ये ग्रंथ आध्यात्मिक ज्ञान, योग, और मंत्र विद्या से संबंधित हैं।

4. महाभारत और पुराण:

  • कुछ विद्वानों का मानना है कि महाभारत और पुराण को पाँचवें वेद के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि इनमें वैदिक ज्ञान का सार समाहित है और ये सामान्य जनता के लिए सरल और प्रासंगिक हैं।

5. रहस्य और गूढ़ ज्ञान:

  • कुछ गूढ़ मान्यताओं के अनुसार, पाँचवाँ वेद एक गुप्त ज्ञान है, जो केवल चुने हुए लोगों को ही प्राप्त होता है। इसे “ऐंधम वेदं” कहा जाता है, जो अत्यंत रहस्यमय और दिव्य ज्ञान से भरपूर है।

निष्कर्ष:

“पाँचवाँ वेद” एक प्रतीकात्मक अवधारणा है, जो वैदिक ज्ञान के विस्तार और उसके नए रूपों को दर्शाती है। यह नाट्यशास्त्र, आयुर्वेद, तंत्र, या किसी अन्य ग्रंथ के रूप में हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य वैदिक ज्ञान को सरल और प्रासंगिक बनाना है। इसका रहस्य इसकी व्यापकता और गहराई में निहित है।

Loading

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required