पेलिओ डाइट (गुफा मानव का भोजन)
पेलिओ डाइट (गुफा मानव का भोजन)
दोस्तों! पेलिओ डाइट का विचार एक नया और अद्भुत विचार है। इसकी उत्पत्ति हम प्रागैतिहासिक काल से मान सकते हैं। । यह हमारे आदि-पूर्वजों द्वारा अपनाई जाने वाली भोजन पद्धति है जिसे “पेलिओ डाइट” कहा जाता है। इसे “गुफा मानव आहार” (Cave man diet) भी कहते हैं। पेलिओलिथिक या पाषाणयुग की डाइट होने के कारण इसका नाम “पेलिओ डाइट” रखा गया। “पेलिओ डाइट” में हक़ीक़त में वह भोजन किया जाता है, जो हमारे पूर्वज पाषाण युग में करते थे। वे कभी मोटापे से परेशान नहीं रहे, न ही उन्हें हृदय संबंधी जानलेवा बीमारियों ने घेरा था। कृषि एवं औद्योगिक क्रांति के बाद हम बिलकुल अलग भोजन करने लगे। पाषाण युग के मानव की डाइट लगभग सभी विटामिन, मिनरल, ऐंटीऑक्सीडेंट्स, स्वास्थ्यकर वसा, प्रोटीन आदि से भरपूर थी।
“पेलिओ डाइट” में आपको शुगर, डेयरी प्रोडक्ट, अनाज, दालें, तेल, आलू, फलियाँ जैसे : मूँगफली, अरहर, मटर आदि का त्याग करना पड़ता है। इसमें आप फल, सब्ज़ियाँ, कंद, जड़ी-बूटियाँ, प्राकृतिक मसालों से अपना भोजन तैयार करते हैं।
मांसाहार के बारे में हम रोज़ाना सुनते हैं कि ये बहुत हानिकारक होता है तथा इससे कैंसर होने का ख़तरा होता है। यह मोटापे का प्रमुख कारण है। यदि ये बातें सच होतीं तो सारे शेर अब तक कैंसर के कारण विलुप्त हो गए होते और शाकाहारी होने के कारण हाथी को सबसे छरहरी काया वाला जीव होना चाहिए था। आप इस बहस में नहीं पड़ें। याद रखें यदि आप मांसाहारी हैं तो आपको शाकाहारी बनने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप शाकाहारी हैं तो ज़बरदस्ती मांसाहार नहीं करें। जो आप वर्तमान में हैं, वही रहें।
भोजन को उत्पन्न करने की विधि तथा भोजन को पकाने का तरीक़ा ही बीमारी की जड़ है। अत्यधिक मुनाफ़ा कमाने के चक्कर में कृषि उद्योग में अत्यधिक रसायनों, खाद्य तथा कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है, जो कि जानलेवा है। भोजन पाक कला पूरी तरह से स्वाद आधारित हो गई है जिसका स्वास्थ्य से कोई ज़्यादा सरोकार नहीं है। इन्हीं दो महा समस्याओं से हमें “पेलिओ डाइट” बचा लेती है, क्योंकि इसमें कृषि से उत्पन्न भोजन का प्रयोग नहीं किया जाता तथा “स्लो कुकिंग” से भोजन को पकाया जाता है।
आपके जीवन में “पेलिओ डाइट” एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। इसमें आपको सभी पोषक तत्व बहुत ही अच्छी मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं और आप तंदुरुस्त, सुडौल और शक्तिशाली बन जाते हैं। ये आपको बुढ़ापे से दूर रखती है तथा बीमारियों को आपके पास फटकने भी नहीं देती।
“पेलिओ डाइट” के साथ यदि आप वर्कआउट करेंगे तो आपको वर्कआउट का लाभ कई गुना अधिक मिलेगा। तो बस इसे आज ही से अपना लें।
“पेलिओ डाइट” में भोजन को पकाने के लिए एक विशेष कुकिंग का प्रयोग किया जाता है, जिसे हम “स्लो कुकिंग” कहते हैं। “स्लो कुकिंग” का अर्थ है कि भोजन को कम तापमान पर पकाना। स्लो कुकिंग के लिए आजकल बाज़ार में “स्लो कुकर” आते हैं, जो कि भोजन को कम तापमान पर पकाते हैं।
स्लो कुकर में आप भोजन को पकने के लिए छोड़ दीजिए, तो यह कुछ घंटों में आपको सेहत और स्वाद से भरपूर भोजन पका कर देता है। कम तापमान पर भोजन पकाने से भोजन में उपस्थित विटामिन्स, मिनरल्स तथा अन्य पोषक पदार्थों का नाश भी नहीं होता और आपका एक तंदुरुस्त जीवन का नया अध्याय शुरू हो जाता है।
आप मटन या सब्ज़ियाँ इसमें पका सकते हैं। आपको सब्ज़ियों और मटन को टुकड़े करके पॉट में डालना है और इलेक्ट्रिक स्विच ऑन करना है। बस, कुछ घंटों बाद आपका भोजन तैयार हो जाएगा। यह पैसों के बचत की भी तकनीक है। यह न समझें कि घंटों तक खाना पकाने से आपका बिजली का बिल बहुत ज़्यादा आएगा, इसमें वास्तव में ज़्यादा बिजली खर्च नहीं होती।
“पेलिओ डाइट” में ये पूर्णतः वर्जित हैं :
शुगर,आइसक्रीम,मूंगफली,तेल,जंक फूड,सोयाबीन,घी,पिज़्ज़ा,सोडा,मक्खन,पास्ता,कोल्ड ड्रिंक्स,दूध,मटर,नमक,दही,दालें,आर्टिफिशियल फ़्लेवर्स
“पेलिओ डाइट” में आप क्या-क्या खा सकते हैं :
पानी,सभी प्रकार के फल,सभी प्रकार की बेरी स्ट्रॉबेरी, चेरी, ब्लैक बेरी, क्रेन बेरी, ब्ल्यू बेरी,सभी प्रकार के कंद-मूल, गाजर, प्याज, लहसुन, अदरक, मूली, सलाद,ड्रायफ्रूट्स- बादाम, काजू, खोपरा-नारियल, पिस्ता, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, तिल,तेल – बादाम का तेल, नारियल तेल, तिल का तेल, अखरोट का तेल, एवाकाडो ऑयल,मशरूम
,जड़ी-बूटियाँ,पुनःश्च
हम आधुनिक युग में रहते हैं। बात सत्य है, लेकिन हमारी बीमारियों की देन भी तो यही आधुनिकता है। आप यह डाइट शुरू कर सकते हैं। जब हमारे पूर्वजों ने इस प्रकार का भोजन हज़ारों वर्षों तक खाया है तो हम क्यों नहीं खा सकते? हम भी खा सकते हैं, और खाना ही पड़ेगा। याद रखें! समय का चक्र फिर घूमकर आता है। यह सत्य है। अटल सत्य।