अनमोल जीवन: क्या हम भी एक भिखारी की तरह जी रहे हैं?
अनमोल जीवन: क्या हम भी एक भिखारी की तरह जी रहे हैं?
एक गहरी सीख देती प्रेरक कहानी
“यदि हम तांबे के सिक्के में उलझे रहे, तो सोने की कीमत कभी समझ नहीं पाएंगे।”
एक बार की बात है…
एक राजा का जन्मदिन था। उस दिन उसने निश्चय किया कि जो भी व्यक्ति सबसे पहले उसे रास्ते में मिलेगा, उसे वह पूरी तरह खुश और संतुष्ट करेगा।
घूमते समय राजा को एक भिखारी मिला। भिखारी ने भीख मांगी, और राजा ने उसे तांबे का सिक्का दे दिया। सिक्का हाथ से छूटकर नाली में गिर गया। भिखारी तुरंत उसे खोजने लगा।
राजा ने फिर उसे बुलाया और एक और तांबे का सिक्का दे दिया। भिखारी ने खुशी से वह सिक्का जेब में रखा, और फिर से नाली में जाकर पहला सिक्का खोजने लगा।
राजा को दया आई। इस बार उसने भिखारी को चांदी का सिक्का दिया। भिखारी फिर खुश हुआ… लेकिन नाली की ओर दौड़ गया – तांबे का सिक्का अभी भी नहीं मिला था।
राजा हैरान था, फिर भी उसने एक सोने का सिक्का दे डाला।
भिखारी बहुत प्रसन्न हुआ, लेकिन अगले ही पल फिर से नाली में हाथ डालने चल पड़ा।
राजा परेशान हो गया। उसने कहा – “मैं तुम्हें अपना आधा राजपाट दे देता हूं। अब तो संतुष्ट हो जाओ।”
भिखारी ने जवाब दिया –
“महाराज! जब तक नाली में गिरा तांबे का सिक्का नहीं मिल जाता, मैं सच्चा सुख नहीं पा सकता।”
कहानी की सीख:
यह कहानी केवल एक भिखारी की नहीं, बल्कि हम सब की है।
हमारे पास ईश्वर ने जो अनमोल मानव जीवन दिया है, वह राजा के दिए हुए सोने और चांदी के सिक्कों जैसा है।
लेकिन हम हैं कि संसार की नाली में गिरे तांबे के सिक्के की तलाश में पूरी उम्र खपा देते हैं।
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हमारे पास सुख है,
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परिवार है,
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प्रेम है,
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अध्यात्म है,
लेकिन हम भूतकाल की छोटी-छोटी इच्छाओं, हसरतों और अपूर्ण कामनाओं में ही उलझे रहते हैं।
🧘♂️ क्या करें?
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अपने जीवन के सत्य मूल्य को पहचानें
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जो मिला है, उसमें संतोष और आभार रखें
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नाली में गिरे सिक्के की तलाश में जीवन बर्बाद न करें