रक्षाबंधन आज
रक्षाबंधन आज
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हर साल सावन पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व राखी या रक्षा बंधन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। वहीं, पूजा के बाद बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को गिफ्ट देते हैं। साथ ही सुख और दुख में साथ देने का वचन देते हैं। यह पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
दशकों बाद रक्षा बंधन पर दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग साल 1930 समान है। आसान शब्दों में कहें तो दिन, नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग, राखी बांधने का समय लगभग समान है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा।
रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त
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वैदिक पंचांग के अनुसार, 08 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 09 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी। हालांकि, 08 अगस्त को भद्रा दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से 09 अगस्त को देर रात 01 बजकर 52 मिनट तक है। इसके लिए 08 अगस्त के बदले 09 अगस्त को राखी का त्योहार मनाया जाएगा। भद्रा के धरती पर रहने के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। इसके लिए भद्रा का साया रहने पर रक्षा बंधन का त्योहार अगले दिन मनाया जाता है।
राखी बांधने का सही समय
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09 अगस्त को राखी बांधने का सही समय सुबह 05 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक है। इस समय तक बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। इसके बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होगी।
रक्षा बंधन शुभ योग
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रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। सौभाग्य योग का समापन 10 अगस्त को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसके बाद शोभन योग का निर्माण होगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह 05 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक है। इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक है। जबकि करण, बव और बालव हैं। इन योग में राखी का त्योहार मनाया जाएगा।
साल 1930 का पंचांग
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वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1930 में शनिवार 09 अगस्त के दिन राखी का त्योहार मनाया गया था। इस दिन पूर्णिमा का संयोग शाम 04 बजकर 27 मिनट तक था। वहीं, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर शुरु हुआ था। इस प्रकार महज 5 मिनट का अतंर पूर्णिमा तिथि में है। सौभाग्य योग का संयोग 10 अगस्त को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर हुआ था। श्रवण नक्षत्र शाम 04 बजकर 41 मिनट तक था। वहीं, बव और बालव करण के संयोग थे। कुल मिलाकर कहें तो 95 साल बाद राखी का त्योहार समान दिन एवं समय, नक्षत्र और योग में मनाया जाएगा।
भद्रा में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी?
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भद्रा को हिंदू धर्म में अशुभ समय माना गया है, खासकर जब इसका वास पृथ्वी या पाताल लोक में होता है। ऐसे समय में रक्षाबंधन जैसे शुभ पर्व को मनाने से परहेज़ किया जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं और अनचाहे संकट खड़े हो सकते हैं। खासतौर पर अगर रक्षाबंधन पर भद्रा लगी हो, तो बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं बांधतीं, क्योंकि ऐसा करना उनके जीवन में नकारात्मक असर डाल सकता है। हालांकि अगर भद्रा स्वर्ग में हो, तो राखी बांधने में कोई दोष नहीं माना जाता। यही वजह है कि भद्रा की स्थिति जानकर ही रक्षाबंधन का मुहूर्त तय किया जाता है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद