रिफाईन्ड तेल का काला सच
रिफाईन्ड तेल का काला सच
एक बार जरूर पढ़ें, आपके होश उड़ जाएंगे…
*क्या आपने कभी विचार किया कि..*
– जिस रिफाइंड तेल से आप अपनी और अपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते,
– जिस रिफाइंड तेल को आप बालों मे नहीं लगा सकते,
उस हानिकारक रिफाइंड तेल को कैसे खा लेते हैं ??
*इसके लिये शायद हमारे हीरो और हीरोइन या सेलेब्रिटीज़ जिम्मेदार हैं।*
आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइण्ड तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है। कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं।
तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब इनऑर्गेनिक हैं और इनऑर्गेनिक केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका कॉम्बिनेशन जहर के तरफ ही ले जाता है।
इसलिए…
*रिफाइन्ड तेल, और विशेषकर डबल रिफाइन्ड तेल गलती से भी न खायें।*
*फिर आप पूछेंगे कि “क्या खाएँ…?”*
*उसका सीधा सा उत्तर है कि आप शुद्ध तेल खाइए, चाहे…*
●- सरसों का हो,
●- मूंगफली का हो,
●- तीसी या अलसी का हो,
●- नारियल का हो या
●- राइस ब्रान आयल हो।
*फिर आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है।*
*हांजी जब लोगों ने शुद्ध तेल पर काम किया या यूं कहें कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है।*
◆ तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला गया तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वही उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास या महक आपको महसूस होती है वो कुछ और नहीं बल्कि उसका ऑर्गेनिक कंटेंट है प्रोटीन के लिए।
◆ 4-5 तरह के प्रोटीन होते हैं सभी तेलों में। आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका फैटी एसिड गायब।
◆ अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी।
*जी हां, ऐसे रिफाइन्ड तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं…*
●- घुटने दुखना,
●- कमर दुखना,
●- हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं,
लेकिन सबसे खतरनाक बीमारी है,
●- हृदयघात (Heart Attack),
●- पैरालिसिस,
●- ब्रेन का डैमेज हो जाना आदि आदि।
जिन जिन घरों में पूरे मनोयोग से और शिद्दत से ये जानलेवा रिफाइंड तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे।
मैंने तो यहां देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइंड तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्हीं के यहाँ हार्ट ब्लॉकेज, हार्ट अटैक, लकवा या पैरालिसिस जैसी बीमारियां या समस्याएं हो रही है।
जब सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डाक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इस पर काम किया और उन डाक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको लाइन बाई लाइन समझिये क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है।
निचोड़ में उन्होंने कहा-
“तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास या महक को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में तो कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है।”
आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ?
मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब।
जब आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे।
अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है।
मलेशिया नाम का एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे *पामोलिन तेल* या *पाम आयल* कहा जाता है, हम उसे पाम आयल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है।
● 7-8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दूसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है।
भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन्ड तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है।
और-
जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा ही..
क्योंकि-
पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है…
और…
ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी भी डिसॉल्व नहीं होते हैं या घुलते नही हैं, किसी भी तापमान पर घुलता नहीं।
ट्रांस फैट जब शरीर में नहीं घुलता है या डिसॉल्व नही होता है तो वो धीरे धीरे बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और इंसान पैरालिसिस का शिकार हो जाता है, डाईबिटिज हो जाता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत शुरू हो जाती है।
अब फैसला आपका कि आपने क्या खाना है.?