कैसे पड़ा सामुद्रिक शास्त्र नाम?
कैसे पड़ा सामुद्रिक शास्त्र नाम?
सामुद्रिक शास्त्र का नामकरण समुद्र ऋषि द्वारा इस ग्रन्थ को प्रचारित करने के कारण किया गया है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र ऋषि का भविष्य कथन इतना सटीक निकलता था कि उनके उपरान्त विद्वानों में समुद्र के वचन की साक्षी दी जाने लगी। अतः ज्योतिष आदि के ग्रंथों में श्लोकों के अंत में अपनी बात पर जोर देने हेतु ‘ समुद्रस्य वचनं यथा ‘जैसे वाक्य प्राप्त होते हैं। दुर्भाग्यवश आज समुद्र ऋषि प्रणीत यह ग्रन्थ अपने अविकल रूप में प्राप्त नहीं है। वराह मिहिर आदि आचार्यों ने समुद्र के नाम का उल्लेख यत्र तत्र किया है।
वर्तमान समय में ‘सामुद्रिक तिलक’ , भविष्य पुराण का स्त्री पुरुष लक्षण वर्णन इत्यादि सामुद्रिक शास्त्र से सम्बंधित ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
सामुद्रिक शास्त्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अनुवाद मोटे तौर पर “शरीर की विशेषताओं का ज्ञान” के रूप में किया जाता है। सामुद्रिक शास्त्र कई बार वैदिक ज्योतिष में भी उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह ज्योतिष और हस्तरेखा से संबंधित है, साथ ही साथ फ्रेनोलॉजी (कपाल-समुद्री) और चेहरा पढ़ने [मुख-समुद्री] से भी संबंधित है। गरुड पुराण में भी सामुद्रिक शास्त्र का वर्णन कई जगह किया गया है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175