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संख्याओं में छुपा ब्रह्मांड: 1 से 20 तक संपूर्ण सृष्टि का रहस्य

संख्याओं में छुपा ब्रह्मांड: 1 से 20 तक संपूर्ण सृष्टि का रहस्य

Table of Contents

1 – ब्रह्म (सृष्टि की शुरुआत, अद्वैत)

🔹 एक वही सत्य है, जिससे संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति हुई।
🔹 परमात्मा एक है, जो हर कण में विद्यमान है।

2 – द्वैत (शिव-शक्ति, सूर्य-चंद्र, दिन-रात)

🔹 संसार द्वैत से चलता है – स्त्री-पुरुष, अच्छा-बुरा, सुख-दुख।
🔹 शिव और शक्ति का मिलन ही सृष्टि का आधार है।

3 – त्रिगुण (सत्व, रजस, तमस)

🔹 सृष्टि तीन गुणों से संचालित होती है – सत्व (पवित्रता), रजस (क्रियाशीलता), और तमस (जड़ता)।
🔹 ब्रह्मा, विष्णु, महेश – तीनों शक्तियाँ सृष्टि को बनाना, पालन और संहार देती हैं।

4 – चतुर्दिशा (चार दिशाएँ, चार वेद)

🔹 पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण – चारों दिशाएँ जीवन का मार्गदर्शन करती हैं।
🔹 चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ज्ञान के स्तंभ हैं।

5 – पंचतत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश)

🔹 पूरा संसार इन पंचतत्वों से बना है।
🔹 शरीर, प्रकृति, ब्रह्मांड – सबका संतुलन इनसे ही है।

6 – षडचक्र (षड्दर्शन, षडचक्र)

🔹 योग में छह चक्र होते हैं, जो ऊर्जा के केंद्र हैं।
🔹 षड्दर्शन – भारतीय दर्शन की छह प्रणालियाँ (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदांत)।

7 – सप्त ऋषि, सप्त लोक, सप्त स्वर

🔹 सप्त ऋषियों ने ज्ञान की रोशनी फैलाई।
🔹 सप्त लोक (भूलोक से पाताल तक) इस ब्रह्मांड की रहस्यमयी रचना हैं।
🔹 संगीत के सात सुर (सा, रे, ग, म, प, ध, नि) जीवन को मधुर बनाते हैं।

8 – अष्टदिक्पाल, अष्टांग योग

🔹 आठ दिशाओं के देवता (इंद्र, अग्नि, यम, नैऋत्य, वरुण, वायु, कुबेर, ईशान) संसार की रक्षा करते हैं।
🔹 पतंजलि का अष्टांग योग आत्मा की मुक्ति का मार्ग दिखाता है।

9 – नवग्रह, नवदुर्गा

🔹 नवग्रह हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं।
🔹 नवदुर्गा – शक्ति के नौ रूप संसार की रक्षा करते हैं।

10 – दशावतार, दस इंद्रियाँ

🔹 भगवान विष्णु के दस अवतार धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं।
🔹 शरीर की दस इंद्रियाँ (पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियाँ) जीवन का संचालन करती हैं।

11 – एकादश रुद्र

🔹 शिव के 11 रुद्र रूप संसार की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक हैं।

12 – बारह आदित्य, बारह मास

🔹 सूर्य के 12 आदित्य और 12 महीने समय चक्र को संचालित करते हैं।

13 – त्रयोदशी (कालचक्र)

🔹 13 अंक रहस्यमयी माना जाता है – यह कालचक्र की गति दर्शाता है।

14 – चतुर्दशी, 14 भुवन

🔹 ब्रह्मांड के 14 लोक (स्वर्ग से पाताल तक) अस्तित्व का रहस्य बताते हैं।

15 – पंचदश तिथि

🔹 चंद्रमा के 15 कलाएँ पूर्णिमा और अमावस्या को दर्शाती हैं।

16 – षोडश कला

🔹 चंद्रमा की 16 कलाएँ पूर्णता और सौंदर्य का प्रतीक हैं।

17 – सप्त ऋषियों का ज्ञान

🔹 ऋषि-मुनियों के ज्ञान से ब्रह्मांड संचालित होता है।

18 – भगवद गीता के 18 अध्याय, महाभारत के 18 पर्व

🔹 गीता के 18 अध्याय जीवन का सार हैं।
🔹 महाभारत का युद्ध भी 18 दिनों तक चला।

19 – सूर्य की शक्ति

🔹 19 अंक आत्मशक्ति और आत्मज्ञान का प्रतीक है।

20 – ब्रह्मांडीय संतुलन

🔹 20 अंक संपूर्णता और संतुलन का प्रतीक है।

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