विषमरत या असमान यौनांग समागम
विषमरत या असमान यौनांग समागम
यौनांग में असमानता होने पर सम्भोगरत होने को ही विषमरत कहते है। इसमे शिश्न(लिंग) की लंबाई और यौनि की गहराई में विषमता रहती है।यदि लिंग लंबा है और स्त्री की यौनि की गहराई कम है तो इसमे जहां स्त्री को पुरूष के लिंग से पीड़ा होगी वहीं पुरूष भी पुरा शिश्न समायोजित नही होने से पूर्ण आनंद से वंचित रह जायेगा।इसी प्रकार यदि यौनि की गहराई अधिक है और लिंग छोटा है तो नारी पूर्ण संतुष्ट नही हो पाएगी ।विषमरत के जोड़े इस प्रकार से बन सकते है–
1)शश पुरूष बड़वा नारी
2)शश पुरुष हस्तनि नारी
3)वृष पुरुष मृगी नारी
4)वृष पुरुष हस्तनि नारी
5)अश्व पुरूष मृगी नारी
6)अश्व पुरुष बड़वा नारी
आचार्य वात्सायन ने विषमरत मैथुन को पुनः चार उपभेदों में विभाजित किया है—-
1)उच्चरत -यदि पुरूष का लिंग बड़ा एवं स्त्री की यौनि छोटी हो तो इसको उच्चरत की संज्ञा देते है।जैसे वृष पुरूष का मृगी नारी के साथ समागम(सेक्स)अथवा अश्व पुरुष का बाड़वा नारी से समागम
2)नीचरत -यदि पुरूष का लिंग छोटा और स्त्री की यौनि बड़ी है तो इस प्रकार के समागम को नीचरत कहते है।जैसे शश पुरुष का बड़वा स्त्री से समागम एवं वृष पुरुष का हस्तनि स्त्री से समागम ।
3)उच्च्तमरत–यदि पुरूष का लिंग बहुत बड़ा हो एवं स्त्री कि यौनि बहुत छोटी हो तो ऐसे समागम को उच्चतमरत कहते है जैसे अश्व पुरूष का मृगी स्त्री से समागम
4)नीचतमरत –यदि पुरुष का लिंग बहुत छोटा और स्त्री की यौनि बहुत गहरी हो तो ऐसे समागम को नीचतमरत कहते है।जैसे शश पुरुष का हस्तनि स्त्री से समागम
आचार्य वात्सायन के अनुसार यौन कीड़ा(सेक्स) के लिए वर्णित नौ समागमो में से तीन समरत उच्च कोटि में आते है ।उच्चरत एवं नीचरत मध्यम दर्जे में आते है।उच्चतमरत एवं नीचतमरत सबसे पीछे (निकृष्ट)श्रेणी में आते है।उच्चरत और नीचरत में यदि सूझ बूझ के साथ घर्षण करे तो पत्नी के आनण्द में वॄद्धि होकर वह पूर्ण संतुष्ट हो जाती है।उच्चतमरत एवं नीचतमरत में उच्चतमरत समागम में यौनि छोटा होने के कारण स्त्री के लिए पीड़ादायक होता है।इसी प्रकार नीचतमरत में लिंग छोटा होने एवं यौनि बड़ी होने से पुरुष का प्रहार निरर्थक होकर रह जाता है।स्त्री पुरूष दोनों को ही संतुष्टि नही हो पाती। यदि कामशास्त्र का ज्ञान होगा तो अवश्य ही संतुष्ट कर पाएंगे ।
समायोजन–यदि अश्व पुरूष की शादी किसी मृगी स्त्री या बड़वा स्त्री से हो जाये तब यदि संबध बनाना हो तो ऐसी स्थिति में पत्नी को अपनी जांघों को पूरा फैला लेना चाहिये जिससे यौनि यथा शक्ति फैल जाए ताकि लिंग बिना किसी परेशानी के यौनि में प्रवेश कर घर्षण कर सके ।स्त्री यदि अपने (नितंब)चूतड़ के नीचे मोटा तकिया रखकर यौनि क्षेत्र को ऊंचा कर ले तो यौनि की गहराई बढ़ जाती है ।और बड़े आकार का लिंग भी उसमे समायोजित हो जाता है।यदि आप(गृहस्थ) कामशास्त्र में ज्ञान बढ़ाएंगे बहुत अच्छा रहेगा।आपका लिंग बहुत बड़ा और आपकी पत्नी की यौनि बहुत छोटी अथवा आपकी पत्नी की यौनि बहुत गहरी और आपका लिंग बहुत छोटा है तो भी आप स्त्री को पूर्ण रूप से संतुष कर सकते है।किंतु इसके लिए आपको कामशास्त्र में ज्ञान बढ़ाना होगा। आगे कुछ दिनों बाद इसी विषय पर विस्तार से बताने वाले है कि यदि पुरूष का लिंग बड़ा और स्त्री की यौनि छोटी हो या पुरुष का लिंग छोटा और यौनि गहरी अधिक हो तब किस प्रकार से संबद्ध बनाये जिससे दोनों (पति -पत्नी)पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाये।यह सब आगे खुलकर बताने वाले है इंतजार करें।
आपने हमारे लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ा उसके लिए दिल से धन्यवाद🙏🙏🙏