शराब के पहले पैग के इस्तेमाल के बाद से ही शराब की लत क्यों लगने लगती है ?
शराब के पहले पैग के इस्तेमाल के बाद से ही शराब की लत क्यों लगने लगती है ?
मनुष्य के जीवन की सभी दैनिक क्रिया कलापों का एकमात्र उद्देश्य होता है आनन्द की प्राप्ति, सुख की अनुभूति, प्रतिष्ठा प्राप्ति या किसी भी तरह से आन्तरिक खुशी प्राप्त करना। इन्हीं को पाने के लिए वह रात दिन परिश्रम करता है और धन कमा कर कभी अच्छा से अच्छा खाना खाकर, तो कभी कीमती कपड़े पहन कर या आलीशान बंगले बना कर उसमें निवास करके या फिर मंदिरों में दान देकर, वह इन्हें पाने की कोशिश करता रहता है।
दरअसल, आदमी के अंदर डोपामाइन (Dopamine) और सेरोटोनिन (Serotonin) दो हार्मोन्स (Hormones) होते हैं, जिनके कारण आदमी के मूड और भावनाओं में बदलाव होता है। आमतौर पर इन दोनों को खुश करने वाले हार्मोन्स (Happy Hormones) के रूप में जाना जाता है। ये दो न्यूरोट्रांसमीटर हैं जो शरीर के कई कार्यों में हिस्सा लेते हैं, जिसमें नींद, याददाश्त, मेटाबॉलिज्म और भावनाएं शामिल हैं।
मन में खुशी, आनंद, प्रतिष्ठा या सुख की अनुभूति का एक मुख्य कारण दिमाग में डोपामाइन और सेरोटीन जैसे हैप्पी हार्मोन्स का यथोचित मात्रा में स्रावित होना है। उपर वर्णित कार्यों को संपन्न करने से उस व्यक्ति के दिमाग के भीतर डोपामाइन और सेरोटीन जैसे हार्मोन्स का स्राव होता है और वह चन्द लम्हों के लिए खुशी, बङप्पन, आदर सम्मान और महत्व का अनुभव करने लगता है।
शराब पीने के तुरंत बाद भी शराबी के मस्तिष्क में डोपामाइन और सेरोटीन हार्मोन्स रिलीज होने लगते हैं, जिसमें शराबी को खुशी, आनंद, प्रतिष्ठा और अपने महत्व का अनुभव होने लगता है। लेकिन कुछ ही मिनटों पश्चात शराब उसके मष्तिष्क की अतिसूक्ष्म कोशिकाओं अर्थात न्यूरॉन्स को बाहरी दुनियां के संदेश मस्तिष्क को भेजने में अक्षम करने लगता है।
साथ ही, माइटोकॉन्ड्रिया की गति में गड़बड़ी करने लगता है और इस गड़बड़ी से माइटोकॉन्ड्रिया तंत्रिका कोशिकाओं (Nurve cells) को ऊर्जा नहीं दे पाता है, इस तरह उर्जा नहीं मिलने से मस्तिष्क के सेल्स कमजोर हो जाते हैं और फिर शराबी की मानसिक व शारीरिक स्थिति अनियंत्रित व कमजोर होने लगती है, शराबी का अपने उपर से नियंत्रण खत्म-सा होने लगता है। शराब स्नायु कोशिकाओं (nerve cells) के आकार-प्रकार में विकृति भी लाने लगती है।
इस प्रकार, पहली बार शराब पीने से जब डोपामाइन और सेरोटीन हार्मोन्स के रिलीज होने से उस व्यक्ति को सहज ही आनंद, खुशी, आत्म-महत्व व उद्वेगपूर्ण हिम्मत तथा आत्मविश्वास का अनुभव होता है, जो प्रत्यक्ष जगत में मुश्किल से होता है, तो वह व्यक्ति इस अनुभव को बार-बार पाना चाहता है और इसीलिए वह बार-बार शराब पीने लगता है। दूसरी तरफ, शराब के कई बार इस्तेमाल के कारण माइटोकॉन्ड्रिया की गतिशीलता प्रभावित होती है। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं के पावरहाउस के नाम से जाना जाता है।
शराब की पहुंच से माइटोकॉन्ड्रिया की गति में गड़बड़ी होती है और इस गड़बड़ी से माइटोकॉन्ड्रिया तंत्रिका कोशिकाओं (Nurve cells) को ऊर्जा नहीं दे पाता है, इस तरह उर्जा नहीं मिलने से मस्तिष्क के सेल्स कमजोर होते जाते हैं और फिर शराबी की मानसिक धारणा शक्ति, इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति एवं मनोबल कमजोर होता जाता है और वह शराब की आदत को, खुद चाह कर, किसी के मना करने पर या प्रताड़ित होने के बावजूद भी नहीं छोड़ पाता।
इसलिए किसी शराबी की “शराब की लत” को छुड़ाने के लिए सबसे पहले उसके मस्तिष्क के अतिसूक्ष्म सेल्स को बल प्रदान करने वाली औषधियों से पुष्ट व बलवान बनाना होगा ताकि मन में उठती शराब पीने की इच्छा को नियंत्रित किया जा सके और आहिस्ता-आहिस्ता खत्म किया जा सके । दूसरे, शराब की आदत के कारण उस व्यक्ति के लीवर की भी बहुत बुरी स्थिति हुई रहती है। वनौषधियों के एक्सट्रेक्ट्स के इस्तेमाल से उसकी जठराग्नि को प्रदीप्त कर लीवर एवं पाचनतंत्र को दुरुस्त करना एवं सम्पूर्ण शरीर को शक्तिशाली बनाना यही हमारी अंवेषित औषधियों के इस्तेमाल का उद्देश्य है।
अचानक शराब छोड़ने से क्या हो सकता है ?
अचानक शराब छोड़ने पर व्यक्ति को थकान, चिंता, घबराहट, कंपकंपी, चिड़चिड़ापन, पसीना आना, नींद न आना, बात बात पर इमोशनल हो जाना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, सिर दर्द होना, भूख न लगना, गुस्सा आना, हार्ट बीट तेज होना और काम पर फोकस न कर पाना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
इसलिए कभी भी अचानक एकदम से शराब बन्द नहीं करनी चाहिए।