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Shri Govind Sharan Prasad

प्रसिद्व व्यक्तित्व विषेष परिचय
गोविंद शरण प्रसाद, पटना-बिहार

संक्षिप्त परिचय
गोविंद शरण प्रसाद पितामह अन्नत लोकवासी स्वर्गीय श्री 1008 श्री बाबा दीपनारायण दास जी महाराज, दादी स्वर्गीया लखपतिया देवी, माता श्रीमति हेमंती देवी पिता श्री साधु शरण प्रसाद जन्मस्थान ग्राम सरकुना पोस्ट भरतपुरा जिला पटना बिहार, शैक्षणिक व अन्य योग्यता आईएसी-मैथ, बीएसी-मैथ-सभी के दुख दर्द को दूर करने का प्रयासरत्त रहना, प्रेरणास्रोत – ज्ञान के महासागर भाई राजीव दीक्षित जी व मार्गदर्शक अग्रज तुल्य डॉक्टर वेद प्रकाश जी

रविन्द्र जायसवालः घरेलू उपचार क्या है।
गोविन्द शरण: घर में या घर के आस पास उपलब्ध उन औषधियों का उपयोग किसी भी साध्य असाध्य रोगों से निवारण हेतु जिनके गुण धर्म शुद्धता की पहचान हर किसी को है व यह उपचार का ज्ञान परम्परागत पीढ़ी दर पीढ़ी बड़े बुजुर्गों के अनुभव से धरोहर के रूप में मिलता है

रविन्द्रः घरेलू उपचार में रोग और उपचार के मूल दर्शन क्या है।
गोविन्द शरणः घरेलू उपचार में रोग नहीं शारीरिक के तकलीफ अंदरूनी व बाहरी का अवलोकन कर औषधि के गुण धर्म के आधार पर चयन कर उपचार करना चाहिए

रविन्द्रः घरेलू उपचार के तरीके क्या हैं और निदान कैसे किया जाता है।?
गोविन्द शरणः घरेलू उपचार मे रस, काढ़ा, शर्बत, मालिस, सिकाई, उपवास, दस्त, वमन, निद्रा, सेवा भाव, प्रेम स्नेह पथ्य अपथ्य भोजन व सबसे अनमोल आत्मविश्वास पैदा कर हर रोग पर जीत हासिल की जा सकती है

रविन्द्रः आपने अन्य चिकित्सा पद्धति छोड़कर घरेलू चिकित्सा को ही क्यों चुना?
गोविन्द शरणः भाई राजीव दीक्षित जी को मचज 2016 में सुनने के बाद व खुद को चिकनगुनिया से ग्रसित होने पर उसवक्त घर मे उपलब्ध तुलसी अजवायन को उबालकर सेवन सिर्फ दो खुराक में स्वस्थ हो गया तो समझ मे आया कि यही एक पद्धति है जिसकी शुद्धता की गारंटी अपने हाथ मे है

रविन्द्रः क्या घरेलू चिकित्सा में सभी रोगों का इलाज संभव है?
गोविन्द शरणः जी घरेलू चिकित्सा में सभी रोगों का इलाज संभव है क्योंकि कोई भी इंसान दवा खा कर जिंदा नहीं है उसे पथ्य अपथ्य की पहचान कर भोजन करना भी जरूरी है और यम नियम पथ्य अपथ्य से किया गया भोजन घरेलू चिकित्सा का मूल आधार है

रविन्द्रः घरेलू चिकित्सा में रसोईघर मे क्या क्या होना अनिवार्य है।
गोविन्द शरणः घरेलू चिकित्सा पद्धति हेतु घर की रसोई घर मे आपके भगौलिक परिस्थितियों में उत्पन्न होने वाले सभी मसाले व अन्य पेड़ पौधे आपके आस पास होने ही चाहिए महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार अपने रसोईघर में 48 औषधि का समूह होना ही चाहिए । तभी हमारा रसोईघर संसार का सबसे अच्छा आरोग्य केन्द्र हो सकता है। वह निम्न प्रकार है

  1. सेंधा नमक
  2. काला नमक
  3. हरी मिर्च
  4. हल्दी
  5. धनिया
  6. ज्ीरा
  7. हीग
  8. राई
  9. मेथी दाना
  10. लहसुन
  11. पुदिना
  12. अजवायन
  13. सज्जिखार
  14. अदरक
  15. सुखा अदरक
  16. सोंठ
  17. काली मिर्च
  18. पीपरामूल
  19. लौंग
  20. इलायची बड़ी
  21. इलायची छोटी
  22. तामलपत्र
  23. दालचीनी
  24. इमली
  25. जायफल
  26. मीठा नीम
  27. नींबू
  28. खसखस
  29. गुड़
  30. तिल
  31. तुलसी
  32. धृत
  33. मूंगफली
  34. सिंघाडा फल
  35. साबुदाना
  36. शहद
  37. हरड
  38. केशर
  39. कपूर
  40. मूंगफली
  41. आंवला
  42. फिटकिरी
  43. तुरटी
  44. मिश्री
  45. सरसों का तेल
  46. तलमखाना
  47. त्रिफला
  48. तिल का तेल
  49. सॉफ
  50. सुपारी

व जिस प्रकार हम जीवन यापन व खुशहाल जीवन जीने हेतु आवश्यतानुसार हर ज्ञान को ग्रहण करते हैं जैसे गाड़ी चलाना, पढ़ाई लिखाई, प्रणायाम योगासन व अन्य हाथ के हुनर को अपनाते है उसी प्रकार हर इंसान को स्वस्थ समृद्ध परिवार निर्माण हेतु आयुर्वेद के यम नियम व घरेलू औषधियों के गुण धर्म व रोगानुसार उपयोग की जानकारी होनी ही चाहिए व इसके लिए मै इस द्वारकाधीश डिवाइनमार्ट मासिक पत्रिका के संपादक जी व सहयोगियों से विनती करता हूँ कि एक कॉलम घरेलू औषधियों के गुण धर्म व उपयोग हेतु भी जगह सुरक्षित कर इन्हें अग्रसित करें

रविन्द्रः लोग आपके बारे में घरेलू चिकित्सा के महानायक बोलते हैं इसके बारे में आपका क्या कहना है?
गोविन्द शरणः मुझे लोग क्या कहते हैं ये उनका प्यार आशीर्वाद है मेरी इच्छा है कि मैं सबका बेटा भाई बना रहूँ व मेरे बताये ए नुस्खों उपचार पर भाई राजीव दीक्षित जी व आप सभी का आशीर्वाद से सभी भाई बहन का स्वस्थसमृद्धपरिवार बना रहे

रविन्द्रः क्या आज के इस परिवेश में घरेलू उपचार के लिए गुंजाइश है।
गोविन्द शरणः जी आज के परिवेश में असम्भव नहीं है जब नियंमित भोजन, जूस, चटनी, रायता बन सकता है तो यह भी सम्भव है

रविन्द्रः क्या घरेलू उपचार और पश्चिमी सभ्यता को एकीकृत करने के पीछे कोई तर्क
गोविन्द शरणः घरेलू उपचार में जँहा मूल आधार हमारे आपके भगौलिक वातावरण परिवेश मौसम ऋतु के आधार पर ही नहीं सुबह दोपहर रात्रि तक का ख्याल रखा जाता है खान पान का वहीं पश्चिम सभ्यता के खान पान जंक फूड ,पिज्जा, बर्गर ,मैगी, नूडल्स, बेकरी उत्पाद, फ्रीज में लंबे समय तक स्टोर किया हुया खाद्य पदार्थ व पैक्ड किसी भी रूप में खाद्य पदार्थ ही रहन सहन को अपनाने के कारण ही आज हम सब की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और समय व उम्र से पहले रोग ग्रस्त हो रहे हैं

रविन्द्रः क्या घरेलू उपचार के निर्माण के लिए कोई नियमन है।
गोविन्द शरणः जी नहीं घरेलू उपचार में कोई खास नियम नहीं है बस पथ्य अपथ्य का ख्याल रखना चाहिए

रविन्द्रः आयुर्वेद में घरेलू उपचार को महत्व साझा करें।
गोविन्द शरणः आयुर्वेदिक औषधियों को घरेलू तरीके अर्थात अपने खान पान में सम्मलित करना ही घरेलू उपचार है

रविन्द्रः आयुर्वेदिक दृष्ठिकोण में पाक शास्त्र क्या है? और इसका पालन कैसे करना चाहिए
गोविन्द शरणः आम भाषा मे भोजन की तरहः किसी औषधिको अग्नि, पानी, दूध के सहयोग से सिद्ध करना ही पाक पकाना है

रविन्द्रः अवसाद या डिप्रेशन से पिढीत व्यक्ति किस प्रकार से घरेलू उपचार के माध्यम से वह प्रसन्न रह सकता हैं।
गोविन्द शरणः अवसाद व डिप्रेशन से ग्रसित भाई बहन को प्रसन्न रहने हेतु सादा भोजन व उच्च सुविचार का ग्रहण करते हुए अपने आराध्य पर समर्पित कर खुश रहना चाहिए व शरीर के तलवो व सर की भरपूर मालिस करनी चाहिए

रविन्द्रः हर्बल चाय क्या है।
गोविन्द शरणः रसोईघर के किसी भी मसाले अल्प मात्रा में व हरे पत्ते जैसे तुलसी, धनिया, पुदिना, पालक, मेथी, मूली को उबालकर पीना आज के दौर में मिलने वाली ग्रीन टी से उत्तम व शुद्ध है

रविन्द्रः रसोईघर के मसाले पर स्त्री रोगों को काबू किया जा सकता है?
गोविन्द शरणःजी मेथी, कलौंजी अजवायन से

रविन्द्रः घरेलू उपचार के अनुसार अपने घर में व्यक्ति को कौन.कौन सा पौधा लगाना चाहिए जिससे वह उन पौधो का फायदा उठा सकें।
गोविन्द शरणः तुलसी,गेंदा, शतावरी, एलोवेरा, गिलोय, पुनर्नवा, हारसिंगार, सदाबहार, गुड़हल, अजवायन, पुदिना

रविन्द्रः इस भागदौड़ वाली जिंदगी में क्या दवाइयों के बिना घरेलू चिकित्सा पर रह पाना संभव है?
गोविन्द शरणः घरेलू खान पान में गलती करने के कारण ही औषधियों की आवश्यकता पड़ती है अतः सभी से विनती है
अपने भोजन को पहचाने स्वाद हेतु भोजन कर औषधि के सेवन करने पर मजबूर न हो

रविन्द्रः हमें आप अपना अनुभव के बारे में बताएं।
गोविन्द शरणः मैं अबोध बालक हूँ अनुभव तो बड़े बुजुर्गों की क्षत्रछाया में है उनकी कृपा बनी रहे यही मेरी हार्दिक इच्छा है,दुसरो के त्रैहिक दुःख दैहिक, दैविक, भौतिक को दूर करने का निःस्वार्थ प्रयास से मिलने वाली आत्मशांति सुख खुशी के अनुभव को शब्दों में व्यख्यान नहीं कर सकता यह तो इस प्रकार है जैसे प्रभु या स्वप्न को आप ही देख पाते हैं दूसरे नहीं ऐसे अनुभव नित्यदिन मिलते हैं

रविन्द्रः कोई ऐसी घटना जिसे आप साझा करना चाहेंगंे तथा आप उससे प्रेरित हुए हो।
गोविन्द शरणः 2016 में खुद व मेरे ऑफिस के सहयोगीयों को चिकनगुनिया से, मेरी सासु माँ फेफड़े के रोग, में घरेलू
उपचार की तुलसी अजवायन दालचिनी शहद रामबाण सिद्ध हुयी साथ ही सरल सस्ती औषधि के रूप में इस लिए इस पैथी
का ज्ञान मैं बड़े बुजुर्गों से, परम्परागत खान पान, कहावत, मुहावरों व आयुर्वेद ग्रन्थो का अध्यन कर खास कर वह औषधि जिसकी पहचान हर किसी को हो प्रयासरत्त हूँ

रविन्द्रः घरेलू उपचार क्या हैं जो डॉक्टरों के परामर्श के बिना इस्तेमाल की जा सकती हैं।
गोविन्द शरणः सभी घरेलू उपचार जिनमे औषधि के शुद्धता गुण धर्म का ज्ञान हो उसे चिकित्सीय परामर्श के बावजूद भी लिया जा सकता है

रविन्द्रः अपने घरेलू चिकित्सा के साथ-साथ ऑनलाइन होम्योपैथिक वर्कशॉप में भी भाग ले रहे हैं इसके बारे मेंकुछ अपना विचार दें?
गोविन्द शरणःघरेलू चिकित्सा के बाद सबसे सस्ती व अल्प मात्रा में सरलता पूर्वक ली जाने वाली औषधि होम्यिोपैथी चिकित्सा में ही उपलब्ध है इस लिए मैं इस पैथी का विद्यार्थी बन ज्ञानोपार्जन करना चाहता हूँ

रविन्द्रः पाठकों को कोई नुस्खा आप बताना चाहेंगे जिससे कि स्त्री रोगों के लिए रामबाण हो और उस नुस्खे को बना करके घर में रखा जा सके?
गोविन्द शरणः मातायों व बहनो की सहेली मेथी दाना, अजवायन,किलौ ंजी काला तिल,तुलसी ,शतावर सभी सम्भग के चूर्ण को बनाकर रखे व इसे अल्प मात्रा एक दो चुटकी पानी मे उबालकर नियंमित दिन में एक बार सेवन से हर मौसम में स्त्रीरोग के हर व्याधि में सगी बहन सहेली का काम करती है

रविन्द्रः अंत में आपका द्वारिकाधीश डिवाइनमार्ट मासिक ई-पत्रिका के पाठको के लिए कोई संन्देश देना चाहते है।
गोविन्द शरणः आज के दौर में डर का ज्ञान बाटने वाली इंटनेट की दुनिया मे विश्वास का ज्ञान बाटने का कार्य कर रही है द्वारकाधीश मे उंहं्रपदम मैं इनके संपादक व सहयोगियों को शत शत नमन करता हूँ व सभी से विनती है जीवन मे एक बार भाई राजीव दीक्षित जी के स्वास्थ्य पर दिए गए चेन्नई पुणे व पटियाला व्यख्यानों को जरूर सूने अगर आप स्वस्थ समृद्ध परिवार समाज देश निर्माण के भागीदार बनना चाहते हैं

 

वंदेमातरम जयहिन्द।

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