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50 की उम्र के बाद क्यों बढ़ती है उम्र की रफ्तार? जानिए आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद क्या कहते हैं

50 की उम्र के बाद क्यों बढ़ती है उम्र की रफ्तार? जानिए आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद क्या कहते हैं

पचास की उम्र के बाद बुढ़ापा क्यों तेज़ हो जाता है?

हाल ही में जुलाई 2025 में अंतरराष्ट्रीय जर्नल Cell में प्रकाशित एक रिसर्च ने यह साबित किया कि 50 की उम्र के बाद aging यानी बुढ़ापा तेज़ रफ्तार पकड़ता है।
पर यह शरीर में एक समान नहीं होता — कुछ अंग धीरे-धीरे बूढ़े होते हैं, जबकि कुछ अचानक।

सबसे पहले कौन बूढ़ा होता है?

शोधकर्ताओं ने बताया कि धमनियाँ (Arteries) सबसे पहले और तेज़ी से बुढ़ी होती हैं।
ये वही नलिकाएँ हैं जो दिल से पूरे शरीर में रक्त पहुंचाती हैं।

ध्यान देने वाली बात यह है कि धमनियाँ केवल खुद नहीं बूढ़ी होतीं, बल्कि पूरे शरीर में बुढ़ापे का संदेश भी फैलाती हैं।
एक खास प्रोटीन जो Aorta (मुख्य धमनी) से निकलता है, शरीर में aging को तेज करता है।


आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:

आयुर्वेद में इसे बहुत पहले से बताया गया है —
‘स्रोतस’ (Channels) की अवधारणा, जिनसे रस, रक्त, प्राण, और ओज प्रवाहित होते हैं।

🔹 रसवह स्रोत (Plasma Channels) — मूल: हृदय और दस धमनियाँ
🔹 रक्तवह स्रोत (Blood Channels) — मूल: यकृत और प्लीहा

इन दोनों के बहाव का मुख्य माध्यम हैं — धमनियाँ।

जब धमनियाँ सख्त या संकुचित होने लगती हैं, तो पूरे शरीर की गति धीमी हो जाती है।


वात दोष और उम्र का संबंध:

आयुर्वेद कहता है —

“50 की उम्र के बाद वात दोष प्रबल हो जाता है।”

वात के गुण:

  • सूक्ष्मता

  • संकुचन

  • रूक्षता

  • हलकापन

  • गति

धमनियों में सबसे पहले ये लक्षण दिखते हैं —
वे सख्त होती हैं, लचीलापन घटता है, और रक्त-रस का प्रवाह धीमा पड़ता है।


आधुनिक और आयुर्वेदिक ज्ञान का सामंजस्य:

  • वैज्ञानिक भाषा में: धमनियाँ aging के संकेत शरीर में फैलाती हैं।

  • आयुर्वेद की भाषा में: वात दोष का असंतुलन स्रोतों को सबसे पहले प्रभावित करता है।


बुढ़ापे को धीमा कैसे करें? — जीवनचर्या के छोटे लेकिन गहरे उपाय:

भूलें नहीं:
यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि प्राकृतिक यात्रा है — लेकिन इसे तेज़ या धीमा किया जा सकता है।

✔ क्या न करें:

  • बार-बार उपवास

  • देर रात भोजन

  • भारी, तला-भुना खाना

  • घंटों बैठे रहना

  • देर रात स्क्रीन देखना

✔ क्या करें:

  • सुबह की धूप लेना

  • भोजन में थोड़ा घी शामिल करना

  • दिन में हल्का गर्म जल पीते रहना

  • रात को सिर और पैर धोकर सोना

  • दोपहर में गहरी नींद से बचना

  • भोजन के बाद हल्की सैर (2-4 किमी नहीं, बस थोड़ा चलना)

  • रात में समय पर सोना

  • “लेट गो” की आदत बनाना

  • ज़्यादा हड़बड़ाहट और चिंता न पालना


धमनियाँ शरीर की सड़कें हैं।
अगर ये संकुचित हों, सूखने लगें, तो शरीर की “ट्रैफिक” यानी रक्त और रस का प्रवाह रुकने लगता है।
चाहे रिसर्च की भाषा हो या चरक-संहिता की —
वात का असंतुलन शरीर की उम्र बढ़ने का पहला संकेत देता है।

यदि हम धमनियों को समय रहते सहेजें,
तो बुढ़ापा भी धीमे-धीमे चल सकता है।

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