सूर्य को जल देने के चमत्कारी परिणाम !!
सूर्य को जल देने के चमत्कारी परिणाम !!
ज्योतिष में बताया गया है कि जिस किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उसे प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों में भी कहा गया है कि हर दिन सूर्य को नियमों का पालन करते हुए जल देना चाहिए। अगर आप नियमानुसार सूर्य को जल दें तो इसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
सूर्य को जल चढ़ाने के फायदे !
- ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है। नियमित सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। सूर्य को जल देने से आरोग्य लाभ मिलता है।
- सूर्य को नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है और यह आपको ऊर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में इसका आपको लाभ मिलता है।
- जिनकी नौकरी में परेशानी चल रही हो वह नियमित सूर्य को जल देना शुरु करें तो उच्चाधिकारी से सहयोग मिलता है और मुश्किलें दूर होती हैं।
कैसे दें सूर्य को जल
- सूर्य को जल देने के नियम के बारे में कहा जाता है कि सूर्य को स्नान के बाद तांबे के बर्तन से जल अर्पित करें।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का एक समय होता है। सूर्य के उदय होने के एक घंटे के अंदर अर्घ्य देना चाहिए। आप चाहे तो सुबह 8 बजे तक सूर्य को जल दे सकते हैं।
- सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली या लाल चंदन मिलाएं और लाल पुष्प के साथ जल दें।
- सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर कभी ऐसा हो कि सूर्य नजर ना आएं तब भी उसी दिशा की और मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें।
- सूर्य को जल देते समय लाल वस्त्र पहनें। लाल कपड़ों मे अर्घ्य देना अच्छा माना गया है।
- अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।
सूर्य को जल चढ़ाने के साथ रोजाना इस मंत्र का भी जाप करें। इससे बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होती है।
- ऊँ नमो भगवते श्री सूर्यायाक्षितेजसे नम:। ऊँ खेचराय नम:।
- ऊँ महासेनाय नम:। ऊँ तमसे नम:।
- ऊँ रजसे नम:। ऊँ सत्वाय नम:।
- ऊँ असतो मा सद्गमय।
- तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।
- हंसो भगवाञ्छुचिरूप: अप्रतिरूप:।
- विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतीरूपं तपन्तम्।
सहस्त्ररश्मि: शतधा वर्तमान: पुर: प्रजानामुदत्येष सूर्य:। - ऊँ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्याक्षितेजसे हो वाहिनि वाहिनि स्वाहेति।