सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “सुकृतिजनजन्माचरणनिरुपण” नामक {पंद्रहवां अध्याय}
सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “सुकृतिजनजन्माचरणनिरुपण” नामक {पंद्रहवां अध्याय} धर्मात्मा जन का दिव्यलोकों का सुख भोगकर उत्तम कुल में जन्म लेना, शरीर के व्यावहारिक तथा पारमार्थिक दो रूपों का वर्णन, अजपाजप की विधि, भगवत्प्राप्ति के साधनों में भक्ति योग की प्रधानता गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – धर्मात्मा व्यक्ति [...]
