सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “मोक्षधर्मनिरूपण” नामक {सोलहवां अध्याय}
सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “मोक्षधर्मनिरूपण” नामक {सोलहवां अध्याय} मनुष्य शरीर प्राप्त करने की महिमा, धर्माचरण ही मुख्य कर्तव्य, शरीर और संसार की दु:खरूपता तथा नश्वरता, मोक्ष-धर्म-निरूपण गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे दयासिन्धो ! अज्ञान के कारण जीव जन्म-मरणरूपी संसार चक्र में पड़ता है, यह मैंने सुना। [...]
