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भगवान शिव की वेशभूषा का रहस्य एवं सावन में रुद्राभिषेक कब करें?

🔱 भगवान शिव की वेशभूषा का रहस्य एवं सावन में रुद्राभिषेक कब करें?

🌿 हिन्दू धर्म में महादेव शिव की वेशभूषा सबसे रहस्यमयी मानी गई है। शिव की जटाओं से लेकर त्रिशूल, नाग, डमरू, भस्म, भांग-धतूरा तक — हर प्रतीक में गहरा आध्यात्मिक अर्थ छुपा है।


🔹 भगवान शिव के रूप और प्रतीक क्या बताते हैं?

1️⃣ तीसरा नेत्र (त्रिनेत्र)
👉 शिव का तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र का प्रतीक है — यह ज्ञान, विवेक और बंधनों से मुक्ति दर्शाता है।

2️⃣ मस्तक पर चन्द्रमा (भालचन्द्र)
👉 चन्द्रमा मन का प्रतीक है — शिव मन को नियंत्रित कर शांत रखते हैं, ताकि विचारों में संयम बना रहे।

3️⃣ त्रिशूल
👉 त्रिशूल तीन गुणों — सत्त्व, रज, तम — का प्रतीक है। शिव बताते हैं कि जीवन में संतुलन जरूरी है।

4️⃣ गले में नाग
👉 नाग कुंडलिनी शक्ति और जीवनचक्र का प्रतीक है — हर प्राणी इस सृष्टि का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

5️⃣ डमरू
👉 डमरू नाद ब्रह्म का प्रतीक है — शिव ही संगीत और सृष्टि की ध्वनि के जन्मदाता हैं।

6️⃣ जटाएं और गंगा
👉 शिव की जटाएं वायुमंडल और आकाश तत्व की प्रतीक हैं। गंगा ज्ञान और शुद्धता को दर्शाती है।

7️⃣ भस्म (राख)
👉 भस्म माया और मोह से मुक्ति का प्रतीक है — आखिर में शरीर भी राख बन जाता है।

8️⃣ भांग और धतूरा
👉 भांग-धतूरा एकाग्रता के प्रतीक हैं — साधना और ध्यान में मन को स्थिर रखने में सहायक हैं।


🌙 सावन मास में रुद्राभिषेक कब करें?

🔱 रुद्राभिषेक से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
सावन में ये तिथियां विशेष हैं:

✅ सोमवार, 14 जुलाई 2025 — पहला सावन सोमवार
✅ सोमवार, 21 जुलाई 2025 — दूसरा सावन सोमवार
✅ बुधवार, 23 जुलाई 2025 — सावन शिवरात्रि
✅ सोमवार, 28 जुलाई 2025 — तीसरा सावन सोमवार
✅ मंगलवार, 29 जुलाई 2025 — नाग पंचमी
✅ सोमवार, 4 अगस्त 2025 — चौथा सावन सोमवार

🌼 इन दिनों में विधिवत रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, कालसर्प शांति आदि कराना उत्तम माना जाता है।


📜 महत्वपूर्ण बात

पूजा में नाम और गोत्र का उच्चारण अनिवार्य है — तभी पूजा का फल सीधे साधक तक पहुँचता है। यदि स्वयं किसी तीर्थ स्थान पर ना जा सकें तो आप योग्य ब्राह्मण से ऑनलाइन या घर बैठे रुद्राभिषेक करवा सकते हैं।


🔱 महादेव की कृपा से जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे!

हर हर महादेव!

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