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थायराइड

प्रश्न :आज एक बहन ने थायराइड का टेस्ट कराया उसे थायराइड निकली है शुरुआत है क्या कर सकते हैं
उम्र 23 साल
वजन 58

उत्तर :

Dr Ved Prakash :

थायराइड गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि होती है I यह टी3 और टी4 थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है जो कि सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर सीधा असर करती है। इन हॉर्मोन्स के असंतुलन से हाइपोथायराइड (हॉर्मोन्स की मात्रा कम होना) या हाइपर थाइरोइड (हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ना) की समस्या उत्पन्न होती हैं। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में हाइपोथायराइड अधिक मात्रा में पाया जाता है l

लक्षण :

यह एक साइलेंट किलर बीमारी है क्योंकि इसके लक्षण फौरन सामने नहीं आते हैं। हाइपोथायरायडिज्म सबसे ज्यादा देखी जानेवाली थाइरोइड समस्या है ।

थोडासा काम करने पर भी थकन महसूस होना, वजन बढ़ने लगना, शरीर में हलका दर्द रहना, बाल,त्वचा रूखे होना, कब्ज, अनियमित मासिक धर्म ये लक्षण हाइपोथायरायडिज्म में दिखाई देते है ।

कारण :

जीवन शैली में परिवर्तन, शारीरिक और मानसिक तनाव यह हाइपोथाइरोइड के कुछ मुख्य कारण है। थायरॉइड रोग का एक कारण ऑटोइम्यून डिसॉर्डर भी है जिसमें शरीर में मौजूद एंटीबॉडी खुद ही थायरॉयड ग्रंथियों पर हमला कर देती हैं जिसके परिणामस्वरूप ऑटोइम्यून थिओरोडिटिस थायरॉइड ग्रंथि को नष्ट करती है।

आयुर्वेद में थायरॉयड ग्रंथि का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है। लेकिन गलगंड नामक एक बीमारी का उल्लेख संहिताओं में मिलता है। इसके लक्षण हाइपोथाइरोइड से काफी मिलते है l

यदि हाइपोथायरायडिज्म अनुवांशिक दोषों के कारण या जन्मजात विकृति के कारण होता है, तो ये असाध्य हैं।

कारण के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म में विभिन्न स्तरों पर अलग अलग औषधियां इस्तमाल की जाती है :

हाइपोथैलामो पिट्यूटरी स्तर पर: तनावनाशक औषधिया, मेध्य रसायन द्रव्य, नस्य कर्म फायदेमंद हो सकते हैं।

थायरॉयड ग्रंथि के स्तर पर: यहां थायरॉयड उत्तेजक दवाओं की सिफारिश की जाती है।

चयापचय स्तर पर: दीपन, पाचन, तीक्ष्ण, उष्ण, लेखन गन युक्त औषधीय जो शरीर के चयापचय को बढ़ाती है, उनका इस्तमाल किया जाता है।

ऑटोइम्यून से संबंधित हाइपोथायरायडिज्म के लिए इम्यूनो-मॉड्यूलेटरी औषधिया उपयोगी है l

१. कांचनार : यह हाइपोथाइरोइड के लिए अत्यंत उपयुक्त है I ताज़ा कांचनार की छाल को चावल के पानी के साथ पीसकर शुंठी मिलाकर सेवन करे। यह गोइटर में आनेवाली गले में सूजन को भी कम करता हैl

२. अश्वगंधा : यह थाइरोइड हॉर्मोन्स को बढ़ता है l तणाव को कम करता है l इम्यूनोमोडुलेटर होने से ऑटो इम्यून हाइपोथायरायडिज्म में यह उपयोगी हो सकती है l

३. सहजन की पत्तियां भी हाइपोथाइरोइड में कारगर साबित हुई है l

४. वरुण में एंटी ट्यूमर प्रॉपर्टी होने के कारण यह थायराइड की अतिरिक्त वृद्धि में लाभकारी हैl

५. गुग्गुलु : यह टी४ टी ३ हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ाता है l

६. ब्राह्मी : आयुर्वेद की उत्कृष्ठ मेध्य रसायन औषधी है l ब्राह्मी थायराइड को उत्तेजित करती है, उसकी गतिविधि बढ़ाकर टी ४ होर्मोन की मात्रा बढ़ाती है l

७.मुलेठी में मौजूद तत्व थाइरोइड ग्रंथि को संतुलित बनाते है। थकान को ऊर्जा में बदलते है ।

इनके अलावा निर्गुण्डी, जलकुम्भी, अपामार्ग, आरग्वध जैसी औषधियां भी थाइरोइड हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ाकर हाइपोथाइरोइड में उपयुक्त साबित हुई है l

१. सहजन के पत्ते, कांचनार, पुनर्नवा इनको समान मात्रा में ले के काढ़ा बनाले। ३० से ५० मिली काढ़ा दिन में एक बार खाली पेट ले।

इन औषधियों से बने कांचनार गुग्गुलु, त्रिफलाद्य गुग्गुलु, पुनर्नवादि कषाय आदि योग मात्रा में लेने से हाइपोथाइरोइड में काफी लाभ होता है l

इनके साथ वमन, विरेचन, नस्य आदि पंचकर्म, शिरोधारा जैसे चिकित्सा कर्म उचित चिकित्सक के परामर्श से लेने चाहिए l

योगाभ्यास :

थाइरोइड की समस्याओं के लिए योगाभ्यास बहोत फायदेमंद हो सकता है I आसन करने से शरीर में रक्तसंचरण बढ़ता है, तनाव कम होता है, थाइरोइड को उत्तेजना मिल इसका कार्य सुचारु रूप से होने लगता है I डॉक्टर से उचित सलाह लेके इन आसनों का अभ्यास करना उपयोगी है ।

१. सर्वांगासन (शोल्डर स्टैंड पोज़)

यह थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करने में मदत करता है और थायरोक्सिन को नियंत्रित करता है। इस विशेष मुद्रा में, शरीर के उल्टे मुद्रा के कारण पैरों से सिर की तरफ रक्त प्रवाहित होता है जो थायराइड में मदद करता है।

२. हलासन (हल की मुद्रा)

इसका अभ्यास गर्दन पर उचित दबाव बनाता है जिससे थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव और थकान को कम करता है।

३. मत्स्यासन, सेतुबंधासन, भुजंगासन थाइरोइड में लाभदायी आसन है l

हाइपोथायराइड के लिए पथ्य:

खाने में आयोडीन युक्त नमक का इस्तमाल करे l दही और दूध का खाने में अधिक इस्तमाल करे। इनमें मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड के मरीज को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।

थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने में गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल भी मददगार हो सकता है।

लहसुन, प्याज, त्रिकटु, सहजन (मोरिंगा), जव, कुलीथ , काकमची, पुराने चावल, जौ, मूंग दाल इनका ज्यादा प्रयोग करे l नारियल का तेल हाइपोथायरायडिज्म में बहुत मदद करता है l

हाइपोथायरायड के लिए अपथ्य (परहेज करना):

दही, भारी भोजन, बहुतायत में नॉनवेज, मछली, दिन की नींद, बहुत मीठा खाना, जंक फ़ूड बंद करना चाहिये I

 

Dr jyoti :

सबसे पहले नमस्कार

मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है।

अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से थायरॉइड का इलाज

रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसकी पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।

त्रिफला चूर्ण से थायरॉइड से लाभ

प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।

थायरॉइड के इलाज में उपयोगी है शिग्रु पत्र, कांचनार और पुनर्नवा का काढ़ा

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा इन सभी हर्ब में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जो थायरॉइड की सूजन में आराम देती है. इसलिए अगर आप थायरॉइड से परेशान हैं तो कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा के काढ़े का उपयोग कर सकते हैं।

थायरॉइड के लिए परहेज

जंक फूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार को नहीं खाएं।

धूम्रपान, एल्कोहल आदि नशीले पदार्थों से बचें।

अधिक जानकारी के लिए कृपया मुझे कॉल करें।

 

Dr:

थायराइड से फैट होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। थायराइड ग्लैंड जोकि गले के अंदर स्थित होती है, थायरॉक्सीन (T4) और त्रियोदोथायरोनिन (T3) नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो शरीर की ऊर्जा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। अगर थायराइड ग्लैंड की सक्रियता अधिक हो जाए (अधिक थायरॉक्सीन उत्पन्न होने के कारण – हाइपरथायराइडिज़्म) तो यह मेटाबोलिज़्म को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को वजन घटाने में मदद कर सकता है। वहीं, अगर थायराइड ग्लैंड की सक्रियता कम हो जाए (कम T4 और T3 के कारण – हाइपोथायराइडिज़्म) तो यह मेटाबोलिज़्म को धीमा कर सकता है जिससे वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

थायराइड को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित कदम उपयुक्त हो सकते हैं:

1. डॉक्टर से परामर्श: अगर आपको थायराइड से संबंधित समस्याएं हैं, तो पहले डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर आपकी थायराइड की सक्रियता को मापने के लिए टेस्ट करेंगे और उपयुक्त इलाज सुझाएंगे।

2. दवाओं का सेवन: अगर आपको हाइपोथायराइडिज़्म है, तो आपके डॉक्टर आपको थायरॉक्सीन या अन्य थायराइड हार्मोन दवाओं का सुझाव देंगे। इन दवाओं का नियमित सेवन करने से थायराइड की सक्रियता को सामान्य किया जा सकता है।

3. सही आहार: थायराइड के रोगियों के लिए सही आहार बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें जैविक और पौष्टिक भोजन शामिल होना चाहिए जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, उर्वरक, पोषक तत्वों का सही संयोजन, और पूरी गेहूँ।

4. नियमित व्यायाम: योग और व्यायाम थायराइड की सक्रियता को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं। योगासन, ध्यान और प्राणायाम भी लाभकारी हो सकते हैं।

5. नियमित जांच और अनुवाद: थायराइड के रोगी को नियमित रूप से अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उनकी सलाह और दवाओं का पालन करना चाहिए।

थायराइड को कम करने और फिट व तंदुरुस्त रहने के लिए डॉक्टर वेद प्रकाश से संपर्क करें।

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