उन्नाव ( बेर ) का शर्बत
उन्नाव ( बेर ) का शर्बत :
उन्नाव या बेर मीठे, ठंडे, भारी, वातपित्त कम करने वाले, कफ बढ़ाने वाले, मल को नरम करने वाला, शुक्राणु बढ़ाने वाला, बृंहण (Stoutning therapy) , स्निग्ध, दाह या जलन, रक्तविकार या रक्त संबंधी रोग, तृष्णा या प्यास, क्षत या छोटे-मोटे घाव-चोट, रक्तस्राव या ब्लीडिंग होता है। इसके सूखे फल, कब्ज से आराम दिलाने में, भूख बढ़ाने वाला तथा लघु होते हैं। यह तृष्णा या प्यास, क्लान्ति (थकान) तथा रक्तविकार या रक्त संबंधी रोग में लाभदायक होता है।
इसके फल अतिसार या दस्त को रोकने वाला, बुखार या फीवर में लाभदायक होता है। इसके बीज बलकारक एवं कृमिघ्न होते हैं। इसके बीज एवं पत्ते तनाव दूर करने में सहायक होते हैं।
यह रक्त पित्त, क्षय एवं पित्त विकारों के लिए, उपयोग शरबत है। यह स्वादिष्ट और मधुर होता है।
1- घटक द्रव्य और निर्माण ——–
उन्नाव(असली) 500ग्राम थोड़ा सा कूटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें और जब 1 लीटर पानी शेष रहे , तो उतार कर व छानकर 3 किलों चीनी ( अच्छी गुणवत्ता वाली ) डालकर उबालें , जब दो तार की चाशनी बन जाने पर उतार कर रख लें। ( सि. भै. म. मा. )
2- गुणकारी और उपयोगी ———
* टी बी या खांसी के साथ रक्त आने पर, इसके सेवन से लाभ होता है।
* रक्तपित्त रोग होने पर भी , इसका सेवन लाभप्रद होता है।
* ये शरबत मुंहासें, पित्त विकार में अत्यंत गुणकारी है।
* इसके नित्य सेवन से त्वचा के रंग में निखार आता है।
* चेहरे की सुंदरता को बढा़ता है।
* स्वाद में भी मधुर और स्वादिष्ट होता है।
3- मात्रा और अनुपान ——–
दो से चार तोला मात्रा लेकर, उतना ही जल मिलाकर प्रातः और सांयकाल सेवन करें ।
विशेष ——
‘ घर – घर आयुर्वेद योजना ‘ से संबंधित जानकारी एवं सहयोग हेतु , संदेश के लिए, watsapp no. 7818839397 का उपयोग करें ।