विनायक चतुर्थी आज
विनायक चतुर्थी आज
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विनायक चतुर्थी व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा। यह नवंबर का पहला चतुर्थी व्रत होगा। विनायक चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करते हैं। इस बार की विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। विनायक चतुर्थी की पूजा के समय रवि योग और ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं, कार्य बिना विघ्न के पूर्ण होते हैं, जीवन में शुभता आती है।
विनायक चतुर्थी का ऐसे रखें व्रत
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 4 नवंबर को रात में 11 बजकर 24 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 5 नवंबर को देर रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 5 नवंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
विनायक चतुर्थी का मुहूर्त
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जो लोग 5 नवंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 2 घंटे 11 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. उस दिन विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ समय दिन में 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक है। इस समय में ही आपको गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से कर लेना चाहिए।
विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:52 ए एम से 05:44 ए एम तक है। यह स्नान के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। विनायक चतुर्थी का शुभ समय यानी अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है।
विनायक चतुर्थी पर बन रहे हैं दो शुभ योग
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इस बार की विनायक चतुर्थी पर 2 शुभ योग बन रहे हैं। सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 28 मिनट से बन रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। वहीं रवि योग सुबह में 6 बजकर 36 मिनट से बनेगा, जो सुबह 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. उस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 9 बजकर 45 मिनट तक है। उसके बाद से मूल नक्षत्र है।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
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वेद-पुराणों में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शुभ योग में विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा अर्चना और व्रत करने से ऐश्वर्य, ज्ञान-बुद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस तिथि पर भगवान गणेश को हरी घास यानि दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाने की परंपरा है इसलिए विनायक चतुर्थी को दूर्वा गणपति के नाम से भी जाता है। अगर आप हर रोज भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित नहीं कर पा रहे हैं तो इस तिथि को दूर्वा अवश्य अर्पित करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि विनायक चतुर्थी पर किए गए पूजा पाठ व दान का फल दस गुना अधिक मिलता है और भगवान गणेश सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं।
विनायक चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
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विनायक चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करें। उसके बाद वस्त्र पहन कर विघ्नहर्ता श्री गणेश के निमित्त व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। गजानन की प्रतिमा स्थापित करने के बाद कुमकुम, अक्षत, दूर्वा, बेसन के लड्डू या मोदक, मिष्ठान, रोली, गेंदे का फूल, सिंदूर, इत्र आदि पूजा सामग्री में शामिल कर उनको अर्पित करें। पूजा सामग्री चढ़ाने के बाद गणपति महाराज को धूप दिखा कर उनकी पूजा करें। पूजा के दौरान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने एक घी का दीप अवश्य प्रज्जवलित करें। पूजा समाप्त करने के बाद भगवान गणेश को दंडवत प्रणाम कर के उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से वह आपके सभी मनोरथ पूर्ण करेंगे। विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः काल वंदना में भगवान गणेश की आरती अवश्य करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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