Search for:
  • Home/
  • Tag: #हिन्दीग्रंथ

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “मोक्षधर्मनिरूपण” नामक {सोलहवां अध्याय}

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “मोक्षधर्मनिरूपण” नामक {सोलहवां अध्याय} मनुष्य शरीर प्राप्त करने की महिमा, धर्माचरण ही मुख्य कर्तव्य, शरीर और संसार की दु:खरूपता तथा नश्वरता, मोक्ष-धर्म-निरूपण गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे दयासिन्धो ! अज्ञान के कारण जीव जन्म-मरणरूपी संसार चक्र में पड़ता है, यह मैंने सुना। [...]

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) – दसवां अध्याय (दाहास्थिसंचयकर्मनिरुपण)

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) – दसवां अध्याय (दाहास्थिसंचयकर्मनिरुपण) और्ध्वदैहिक कृत्यों को करने से पुत्र और पौत्र, पितृ-ऋण से मुक्त हो जाते हैं, उसे बताता हूँ, सुनो। बहुत-से दान देने से क्या लाभ? माता-पिता की अन्त्येष्टि क्रिया भली-भाँति करें, उससे पुत्र को अग्निष्टोम याग के समान फल प्राप्त हो जाता [...]

“सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) – नवां अध्याय (म्रियमाणकृत्यनिरुपण)

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) “म्रियमाणकृत्यनिरुपण” नामक {नवां अध्याय} मरणासन्न व्यक्तियों के निमित्त किये जाने वाले कृत्य गरुड़ उवाच गरुड़जी बोले – हे प्रभो! आपने आतुरकालिक दान के संदर्भ में भली भाँति कहा। अब म्रियमाण (मरणासन्न) व्यक्ति के लिए जो कुछ करना चाहिए, उसे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान ने कहा – [...]

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण आठवाँ अध्याय – आतुरदाननिरूपण

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) {आठवाँ अध्याय} – आतुरदाननिरूपण गरुड उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे तार्क्ष्य ! मनुष्यों के हित की दृष्टि से आपने बड़ी उत्तम बात पूछी है। धार्मिक मनुष्य के लिए करने योग्य जो कृत्य हैं, वह सब कुछ मैं तुम्हें कहता हूँ। पुण्यात्मा व्यक्ति वृद्धावस्था [...]

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) – बभ्रुवाहन प्रेत संस्कार कथा | सातवां अध्याय

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) बभ्रुवाहनप्रेतसंस्कार नामक {सातवां अध्याय} 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ इस अध्याय में पुत्र की महिमा, दूसरे के द्वारा दिये गये पिण्डदान आदि से प्रेतत्व से मुक्ति की बात कही गई है – इस संदर्भ में राजा बभ्रुवाहन तथा एक प्रेत की कथा का वर्णन है। सूत उवाच सूतजी ने [...]

गरुड़ पुराण पाँचवाँ अध्याय : पापों के चिह्न और योनियाँ

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में) पाँचवाँ अध्याय : पापों के चिह्न और योनियाँ गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! जिस-जिस पाप से जो-जो चिह्न प्राप्त होते हैं और जिन-जिन योनियों में जीव जाते हैं, वह मुझे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान ने कहा – नरक से आये हुए [...]